भारतीय शिक्षा नीति 2020 की समीक्षा

(Review of Indian Education Policy 2020)

 

Naresh Kumar Paliwal

Principal, M. V. M. T. T. College Pratapgarh, Rajasthan.

*Corresponding Author E-mail:

 

ABSTRACT:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणालियों को मुख्यधारा के शिक्षा ढांचे में एकीकरण पर जोर देकर भारत के शैक्षिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित करती है। यह सार भारतीय ज्ञान प्रणालि यों से संबंधित एनईपी 2020 के प्रमुख प्रावधानों की पड़ताल करता है इसके उद्देश्यों रणनीतियों और संभावित प्रभावों पर प्रकाश डालता है। आज के युवा अपने भविष्य के लिए अधिक जागरूक) निर्णायक और जिम्मेदार हैं। स्कूली शिक्षा से परे) जैसे ही छात्र उच्च शिक्षा की दुनिया में कदम रखते हैं) आधुनिक विष्वविद्यालयों का यह कर्तव्य बन जाता है कि उनके पास एक ऐसा शैक्षिक क्षेत्र हो जो खोज) विकास को बढ़ावा दे और सबसे बढ़कर रुचि की लौ को हमेशा प्रज्वलित रखे। शिक्षा आर्थिक और सामाजिक प्रगति की आधारशिला है। उनके संबंधों को ध्यान में रखते हुए परंपराओं और संस्कृति) विभिन्न देश विभिन्न शिक्षा प्रणालियों को अपनाते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को 28 जुलाई) 2020 को भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आवश्यकता पर बल देते हुए कोठारी आयोग ने स्पष्ट किया कियदि राष्ट्रीय प्रगति को तीव्र बनाना है तो एक सबल) सुनिश्चित एवं सुविचारित शिक्षा नीति की आवश्यकता है।

 

KEYWORDS: शिक्षा, निति, समता मूलक, समवेशी शिक्षा, भारतीय शिक्षा नीति 2020, 5$3$3$4 संरचना, मातृभाषा में शिक्षा, तीन-भाषा नीति, प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा, बहु-विषयी शिक्षा, लचीला पाठ्यक्रम, राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन, डिजिटल शिक्षा, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम, व्यावसायिक शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण, समावेशी शिक्षा, उच्च शिक्षा आयोग, नवाचार, कौशल विकास, शैक्षिक समानता, संस्कृति और मूल्यों का समावेश, डिजिटल डिवाइड, शिक्षा बजट, कार्यान्वयन की चुनौतियाँ।

 

 


INTRODUCTION:

यह शोध पत्र नई शिक्षा नीति 2020 के लिए संदर्भित है, जो मुख्यतः शिक्षा नीति 2020 की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारत - केंद्रित शिक्षा प्रणाली की परिकल्पना की गई है, जो इसकी परंपरा, संस्कृति, मूल्यों और लोकाचार में परिवर्तन लाने में अपना बहुमूल्य योगदान देने को तत्पर है। भारतीय शिक्षा नीति 2020 को भारत के शिक्षा प्रणाली में गंभीर परिवर्तन का प्रयास करने के लिए लाया गया एक नया दृष्टिकोण है। यह नीति विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती है, जैसे कि शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान, और आधुनिकीकरण।

 

विष्वविद्यालय और प्रोस्थानों का आधुनिकीकरणः नीति का उद्देश्य विष्वविद्यालयों और प्रोस्थानों को आधुनिक और अनुभव-आधारित बनाना है। भारत के विष्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों का आधुनिकीकरण करना। यह कई महत्वपूर्ण पहलुओं को सम्मिलित करता हैः

 

1.     बहुविषयक शिक्षा और शोध विष्वविद्यालय - छम्च् 2020 का उद्देश्य विष्वस्तरीय बहुविषयक शिक्षा और शोध विष्वविद्यालयों की स्थापना करना है, जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार काम करेंगे। ये संस्थान अनुसंधान और नवीनता को बढ़ावा देंगे।

2.     अनुसंधान और नवाचार - नीति में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की योजना है, जो अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता और दिशा प्रदान करेगा। यह फाउंडेशन विभिन्न विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक विज्ञान और मानविकी क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा।

3.     डिजिटल शिक्षा डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए -लर्निंग प्लैटफॉर्म्स, ऑनलाइन कोर्सेज, और डिजिटल लाइब्रेरी का विस्तार किया जाएगा। इससे छात्रों को शिक्षा के नए और व्यापक साधनों तक पहुंच मिलेगी।

4.     शिक्षक प्रशिक्षण और विकास - शिक्षकों को उच्च गुणवत्ता का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि वे नवीनतम शिक्षण तकनीकों और प्रथाओं से अवगत हो सकें। इसके लिए, उच्च शिक्षा संस्थानों में नियमित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

5.     वैष्विक दृष्टिकोण - विष्वविद्यालयों को वैष्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए, अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी और आदान-प्रदान कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

6.     वित्तीय स्वायत्तता और जवाबदेही - शैक्षणिक संस्थानों को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान की जाएगी, जिससे वे अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को स्वतंत्र रूप से संचालित कर सकें। इसके साथ ही, उनकी जवाबदेही भी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि वे गुणवत्ता और समर्पण के साथ शिक्षा प्रदान कर सकें।

7.     स्मार्ट कैंपस पहल - शैक्षणिक संस्थानों में स्मार्ट कैंपस की स्थापना की जाएगी, जिसमें उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जैसे कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स (प्वज्), बिग डेटा, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस।

 

शिक्षा की गुणवत्ताः

नीति का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है। इसके लिए विभिन्न प्रोग्राम और तकनीकी उपायों का उपयोग किया जाएगा। नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं को सम्मिलित किया गया हैः

 

1.     प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा - नीति में बचपन से ही गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया है। म्ब्ब्म् के तहत खेल-आधारित और गतिविधि- आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे बच्चों के विकास की नींव मजबूत हो सके।

2.     स्कूल शिक्षा - स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता को सुधारने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगेः

वर्तमान 10$2 संरचना को बदलकर नई संरचना अपनाई जाएगी, जिससे शिक्षा का स्तर और व्यापक हो सके। छात्रों की प्रगति का समग्र मूल्यांकन किया जाएगा, जिसमें केवल अकादमिक प्रदर्शन नहीं बल्कि अन्य कौशल और गतिविधियों को भी सम्मिलित किया जाएगा। समूह में सीखने और सहयोग करने की मानसिकता को बढ़ावा दिया जाएगा।

3.     उच्च शिक्षा -

मल्टीडिसिप्लिनरी शिक्षाः छात्रों को विभिन्न विषयों में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी जानकारी और कौशल का व्यापक विकास हो सके।

क्रेडिट बैंकिंगः छात्रों को अपनी पढ़ाई के दौरान अर्जित किए गए क्रेडिट्स को बैंक करने की सुविधा मिलेगी, जिससे उन्हें अपनी शिक्षा को फ्लेक्सिबल तरीके से पूरा करने में मदद मिलेगी।

4.     शिक्षक शिक्षा - शिक्षकों के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिससे वे नई शिक्षण तकनीकों और प्रथाओं से अवगत हो सकें। शिक्षकों की पदोन्नति उनके प्रदर्शन और विकास पर आधारित होगी, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

5.     तकनीकी हस्तक्षेप - शिक्षा में डिजिटल साधनों का उपयोग बढ़ाया जाएगा, जैसे कि -लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म्स, ऑनलाइन कोर्सेज, और डिजिटल लाइब्रेरी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंगः शिक्षा के क्षेत्र में उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

6.     अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ तालमेल - भारतीय शिक्षा प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार सुधारने के प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए वैष्विक शिक्षा प्रथाओं को अपनाने और उन पर अनुसंधान करने पर जोर दिया जाएगा।

7.     स्थानीय भाषा में शिक्षा- नीति का उद्देश्य प्राथमिक स्तर पर बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करना है, जिससे उनकी समझ और सीखने की क्षमता में वृद्धि हो सके।

8.     नैतिक और सामाजिक शिक्षा - छात्रों में नैतिक और सामाजिक मूल्यों का विकास किया जाएगा, जिससे वे केवल अच्छे विद्यार्थी बल्कि अच्छे नागरिक भी बन सकें।

 

अनुसंधानः

नीति का उद्देश्य भारत के अनुसंधान को बढ़ाना है। इसके लिए विभिन्न अनुसंधान प्रोग्राम और फंडिंग दी जाएगी। नई शिक्षा नीति 2020 में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने और इसे शिक्षा के एक प्रमुख घटक के रूप में मान्यता देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया हैः

 

1-     राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन - छम्च् 2020 के तहत राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की गई है। यह फाउंडेशन अनुसंधान को बढ़ावा देने, फंडिंग प्रदान करने, और विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए समर्पित होगा। इसका उद्देश्य अनुसंधान की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करना है।

2-     बहु-विषयी अनुसंधान - नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बहु-विषयी अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इससे विभिन्न विषयों के ज्ञान और कौशल को एकीकृत कर नए और अभिनव समाधान प्राप्त किए जा सकेंगे।

3-     उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान - उच्च शिक्षा संस्थानों को अनुसंधान में विशेष योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए, उन्हें अनुसंधान फंडिंग, संसाधन और दिशा-निर्देश प्रदान किए जाएंगे।

4-     अंतर्राष्ट्रीय सहयोग - विष्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके तहत अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान परियोजनाओं और फंडिंग का उपयोग किया जाएगा।

5-     शोध आधारित शिक्षा - छात्रों को शोध आधारित शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए, उन्हें अनुसंधान परियोजनाओं में भाग लेने और अपने विचारों को विकसित करने का अवसर मिलेगा।

6-     उद्योग और अनुसंधान का सहयोग - उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए नीति में विशेष प्रावधान किए गए हैं। इससे नए और उन्नत तकनीकी समाधान विकसित करने में मदद मिलेगी।

7-     नवीन अनुसंधान क्षेत्रों में निवेश - नीति के तहत नवीन अनुसंधान क्षेत्रों, जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जैव प्रौद्योगिकी, और पर्यावरणीय अनुसंधान में निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे इन क्षेत्रों में नई तकनीकों और समाधानों का विकास होगा।

8-     अनुसंधान इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास - अत्याधुनिक अनुसंधान इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना की जाएगी, जिसमें अत्याधुनिक उपकरण और सुविधाएं शामिल होंगी। इससे अनुसंधान कार्यों की गुणवत्ता में सुधार होगा।

 

आधुनिकीकरणः

नीति का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को आधुनिक और अनुभव-आधारित बनाना है। शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है शिक्षा के माध्यम से बालक का संर्वागीण विकास किया जाता है। शिक्षा पर सभी का अधिकार है अतः शिक्षा का अब समावेशीकरण हो रहा है जिसमें सबको समाहित कर ले, ऐसी शिक्षा जो सबके लिए हो अर्थात हर वर्ग के सभी प्रकार के बच्चों को एक साथ एक कक्षा में एक विद्यालय में शिक्षा देना समावेशी शिक्षा है। समावेशन सबके लिए सामान्य स्कूल के प्रत्यय को स्पष्ट करती है। यह एक ऐसा शैक्षिक प्रतिरूप है, जो सार्वभौमिक समाज के निर्माण एवं विकास के उद्देश्य से प्रत्येक व्यक्ति को समान जगह देता है। यूनेस्को ने अपने अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन, जेनेवा (2008) में समावेशी शिक्षा पर चर्चा की ओर स्पष्ट किया कि समावेशी शिक्षा छात्रों के गुणात्मक शिक्षा के मौलिक अधिकार पर आधारित है जो आधारभूत शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर जीवन को समृद्ध बनाती है। समावेशी शिक्षा समाज के हर वर्ग के प्रतिभाशाली कमजोर औसत, मानसिक रूप से कमजोर बालकों के लिए है जिससे वे समाज धारा में जुड़ते है आत्मविश्वासी होती है। इसका उद्देश्य बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना है। भारत की नई शिक्षा नीति इन्हीं लक्ष्यों को लेकर प्रस्तावित की गई है।

 

यह नीति शिक्षा को समावेशी, गुणवत्तापूर्ण और सुलभ बनाने के साथ-साथ भारत के सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित रखते हुए आधुनिकता की ओर अग्रसर करने का लक्ष्य रखती है। छम्च् 2020 शिक्षा को केवल ज्ञानार्जन तक सीमित नहीं रखती, बल्कि कौशल विकास, रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देती है। यह छात्रों को रोजगार-योग्य बनाने और उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करती है। राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन (छत्थ्) जैसी संस्थाओं का निर्माण देश में शोध और विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मददगार होगा। इससे उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ेगी और भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने का अवसर मिलेगा। कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने से छात्रों को वास्तविक जीवन में उपयोगी कौशल सिखाने का अवसर मिलेगा। यह कदम भारत में कौशल आधारित शिक्षा को प्रोत्साहन देगा। मातृभाषा में शिक्षा को प्रोत्साहन देकर बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत बनाया गया है। यह नीति क्षेत्रीय भाषाओं और भारतीय संस्कृति को भी बढ़ावा देती है। डिजिटल शिक्षा पर जोर देकर यह नीति ग्रामीण और शहरी भारत के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करती है। हालांकि, नीति का उद्देश्य सराहनीय है, इसे प्रभावी रूप से लागू करने के लिए कई चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। नीति को लागू करने के लिए शिक्षा क्षेत्र में जीडीपी का 6 खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है, जो अभी तक हासिल नहीं हो पाया है। बिना पर्याप्त वित्तीय समर्थन के, कई सुधारों का क्रियान्वयन कठिन होगा। भारत के ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में तकनीकी संसाधनों और इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी डिजिटल शिक्षा के लक्ष्यों को बाधित कर सकती है। तीन-भाषा फार्मूला को लेकर कुछ राज्यों ने विरोध जताया है, खासतौर पर दक्षिण भारत में, जहाँ हिंदी के विरोध में भावनाएँ अधिक प्रबल हैं। नई प्रणाली को लागू करने के लिए शिक्षकों का प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। शिक्षकों की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में ठोस प्रयास करना होगा। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को मौजूदा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के लिए एनईपी 2020 की कल्पना की गई थी। इसका उद्देश्य मुक्त और दूरस्थ शिक्षा, ऑनलाइन शिक्षा और शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करके छात्रों के समग्र व्यक्तित्व का निर्माण करना है। इसके अलावा, देश में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना की जाएगी। देश भर में उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एकल नियामक के रूप में परिकल्पित एक राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी) की स्थापना की जाएगी। भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (एचईसीआई) में विभिन्न भूमिकाओं को पूरा करने के लिए कई कार्यक्षेत्र होंगे। सभी सरकारी भर्ती परीक्षाओं के लिए एक राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी और समान स्तर की विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के लिए एक सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) स्थापित करने के प्रयास किए जाएंगे। इसके अलावा, विषयों में पाठ्यक्रम और कार्यक्रम, जैसे कि इंडोलॉजी, भारतीय भाषाएं, चिकित्सा की आयुष प्रणाली, योग, कला, संगीत, इतिहास, संस्कृति और आधुनिक भारत, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और उससे आगे के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक पाठ्यक्रम, सार्थक अवसर वैश्विक गुणवत्ता मानकों के इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामाजिक जुड़ाव, गुणवत्ता आवासीय सुविधाओं और परिसर में समर्थन आदि को बढ़ावा दिया जाएगा।

 

नीति का दीर्घकालिक प्रभाव:- यदि इस नीति को सही दिशा में लागू किया जाता है, तो इसका दीर्घकालिक प्रभाव भारतीय शिक्षा प्रणाली पर सकारात्मक और क्रांतिकारी होगा।

 

शिक्षा और रोजगार के बीच पुल:- छम्च् 2020 शिक्षा को कौशल आधारित और रोजगारपरक बनाकर युवाओं को रोजगार की मुख्यधारा से जोड़ेगी।

 

वैष्विक प्रतिस्पर्धा:- यह नीति भारत को वैष्विक शिक्षा और अनुसंधान के मानचित्र पर मजबूत स्थान प्रदान करने में सहायक होगी।

 

समावेशी समाज का निर्माण:- समाज के कमजोर वर्गों को समावेशी शिक्षा का लाभ मिलेगा, जिससे सामाजिक असमानता में कमी आएगी।

 

मूल्यों और संस्कृति का संरक्षण:-भारतीय भाषाओं और संस्कारों को संरक्षित रखते हुए यह नीति बच्चों को अपने जड़ों से जोड़ने में मदद करेगी।

 

नीति के फायदे:- यह नीति शिक्षा को नवाचार, तकनीकी कौशल और रचनात्मकता पर केंद्रित करती है। बच्चों को उनके प्रारंभिक वर्षों में बेहतर सीखने का अवसर मिलता है। छत्थ् जैसी संस्थाओं से शोध और विकास को बढ़ावा मिलेगा। सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करने के प्रयास।

 

चुनौतियाँ और आलोचना:- नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त बजट की आवश्यकता है, जो अभी भी एक चुनौती है। शिक्षकों और प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और संसाधन सुनिश्चित करना। तीन-भाषा नीति को लेकर कुछ राज्यों में विवाद।

 

डिजिटल डिवाइड:- ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करना कठिन है।

 

निष्कर्षः

भारतीय शिक्षा नीति 2020, शिक्षा के क्षेत्र में दूरगामी सुधारों का वादा करती है। इसका उद्देश्य केवल शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच को सुधारना है, बल्कि एक ऐसी प्रणाली बनाना है जो 21वीं सदी की आवश्यकताओं और वैष्विक मानकों के अनुरूप हो। हालांकि, इस नीति की सफलता काफी हद तक इसके कार्यान्वयन पर निर्भर करती है। सरकारी इच्छाशक्ति, पर्याप्त वित्तीय संसाधन, और स्थानीय जरूरतों के साथ तालमेल बैठाना इसका आधार होगा। अगर यह नीति प्रभावी रूप से लागू होती है, तो यह भारत को एक वैष्विक शैक्षिक हब में बदलने की क्षमता रखती है। इस प्रकार, भारतीय शिक्षा नीति 2020, एक उम्मीद का प्रतीक है, जो शिक्षा को एक ऐसी शक्ति बनाने का वादा करती है जो केवल व्यक्तिगत विकास बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी सहायक हो।

 

संदर्भ सूची:-

1-     नई शिक्षा नीति 2020 की रूपरेखा, अनुच्छेद 6 14

2-     मिश्रा, मृत्युंजय, एक सामवेशी विद्यालय का निर्माण अरिहंत शिक्षा प्रकाशन, जयपुर।

3-     पांडे, एस.पी. और मंसूरी, इम्तियाज (2019), एक समावेशी स्कूल का निर्माण, आर. लाल बुक डिपो मेरठ।

4-     www.education.gov.in>एनईपी 2020 एमएचआरडी.

 

 

 

 

 

Received on 07.01.2025      Revised on 30.01.2025

Accepted on 14.02.2025      Published on 25.03.2025

Available online from March 31, 2025

Int. J. of Reviews and Res. in Social Sci. 2025; 13(1):15-20.

DOI: 10.52711/2454-2687.2025.00003

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